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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-62 / दिनेश बाबा
Kavita Kosh से
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डूबै के जौं उमिर छौं, ‘बाबा’ डूबो खूब
यादो में आराध्य के, या जे छौं महबूब
490
लै वक्ती कातर बनै, दै वक्ती कंजूस
लेन-देन के चीज हय, कहलाबै छै घूस
491
राजी-खुशी सें जे दियेॅ, ऊ छेकै बक्सीस
जे दै मंे छै वैधता, ऊ कहलाबै फीस
492
देन-लेन विजनस छिकै, करथौं डील दलाल
ऐ कामों में होय छै, कत्ते मालामाल
493
एक नई शुरूआत छै, एक नया आगाज
लड़की अब हर किस्म के, काम करै छै आज
494
रहै कल्पना चावला, बेटी, पूत समान
अंतरिक्ष के खोज में हांती ऐलै जान
495
नारी के गौरव रहै, बेटी रहै महान
याद करै छै वीरता, हुनकर सकल जहान
496
एक हाथ में दान छै, दोसर में बक्सीस
क्रोध हुवै ते शाप दै खुशी में दै आसीस