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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-75 / दिनेश बाबा
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593
काम करै के पूर्व ही, करो नाप भी ठीक
नाप सही बिन दर्जियो, नै सीयै छै नीक
594
पंछी बैठल नैं कभी, पाबै छै आहार
‘बाबा’ दाना चुगै लेॅ, निकलै बारंबार
595
निगरानी बिन फसल के, उपज न मिलथौं ठीक
बढ़िया पैदावार लेॅ, चुनो सही तकनीक
596
रस्ता के पत्थर बनी, रोजे ठोकर खाय
बनलै शालिग्राम घिसी, पाहन तभी पुजाय
597
दर्द श्रृजन के जें सहै, बनै छै शालिग्राम
रावण वध के बाद ही पुजलो गेलै राम
598
हिन्दू के थाथी छिकै, गीता, वेद, पुरान
नाज करै इस्लाम भी, जिनको छिकै कुरान
599
जोॅल निकालै कूप सें, बाल्टी आरू उभैन
वहिनें ‘बाबा’ काढ़ियै, अन्तरमन के बैन
600
कम सरदी हरदी हरै, जै में छै गुन तीन
रूप-रंग, गोरा करै, वस्तु करै रंगीन