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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-76 / दिनेश बाबा

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601
सुनी पिया के आगमन, चूड़ी तक उमताय
हृदय वीन के तार केॅ, छेड़ी करी बजाय

602
तन राधा, मन बांसुरी, प्रीत हृदय के तान
इधर-उधर ढूंढै मृगी, जबसें हुवै जुआन

603
देर तलुक क्रीड़ा करै, जल में खूब नहाय
देह-ताप ‘बाबा’ मतर, पिया बिनु नहीं जाय

604
प्रेम गली के होय छै, बड़ी सांकरो द्वार
पुष्ट करेजो छौं तबेॅ, ‘बाबा’ करिहो प्यार

605
डगर प्रेम के छै कठिन, चलै जे शीश कटाय
प्रीत करै ‘बाबा’ वही, जौनें रीत निभाय

606
पावन होली के परब, जे आबै हर साल
प्रिया पिया सें मिली केॅ, होवै लाले-लाल

607
विरहिन असकेली कना, काटै छै दिन रैन
बिन पियवा धीपै बदन, मोॅन हुवै बेचैन

608
प्रीतम ऐला सें कबल, शगुन उचारै काक
बाग-बाग दिल होय छै, जब आबै छै डाक