दौरिबे बारेन के पिछबाड़ें दुलत्ती दै दई।
रेंगबे बारेन कूँ मैराथन की ट्रॉफ़ी दै दई॥
जैसें ई पेटी में डार्यौ बोट – कछ ऐसौ लग्यौ।
देबतन नें जैसें महिसासुर कूँ बेटी दै दई॥
मैंने म्हों जा ताईं खोल्यौ ताकि पीड़ा कह सकूँ।
बा री दुनिया तैनें मो कूँ फिर सूँ रोटी दै दई॥
सब कूँ ऊपर बारौ फल-बल सोच कें ई देतु ऐ।
मन्मथन कूँ मन दये मस्तन कूँ मस्ती दै दई॥
जन्म लीनौ जा कुआँ में बाई में मर जाते हम।
सुक्रिया ऐ दोस्त जो हाथन में रस्सी दै दई॥