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द्रुम कुसुमय, सलिल सरसिजमय / कालिदास
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द्रुम कुसुमय, सलिल
- सरसिजमय हुए,सुखपूर्ण यामिनि
पवन गंधित, रम्य रे दिन
- कामरुचिमय युवति कामिनि
वापियों के वारि में
- मणि मेखला का रूप बरता
इन्दु छवि स्त्री को, कुसुम दे
- आम्र तरुओं को पुलकता
दे रहा सबों वसन्त
- नवीन जीवन लालसा कल
प्रिये मधु आया सुकोमल