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द्रौपदीसँ विरक्ति / राजकमल चौधरी
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आन्हर घरक अन्धकारमे
आब साँप नहि मारब
तोड़ि देब बरू तेल पियाओल लाठी।
थाकल देहक अन्ध-कूपमे
आब झाँप नहि मारब
कतबो ग्राह ग्रसित कएने हो मातल हाथी।
आन्हर घरक अन्धकारमे
अहाँ साँप कटबाउ
अपने देहक पंकिल जंगल पहाड़मे
एसकरि बीन बजाउ।