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द्वार खोलो दौड़ कर लो आ गया अख़बार / अश्वघोष

द्वार खोलो दौड़कर लो आ गया अख़बार
कुलमुलाती चेतना पर छा गया अख़बार ।

हर बसर ख़ुशहाल है इस भुखमरी में भी,
आँकड़ों की मार्फ़त समझा गया अख़बार ।

कल मरी कुछ औरतें स्टोव से जलकर,
आज उनको देखता हूँ खा गया अख़बार ।

हर तरफ़ ख़ामोशियों में रेंगते चाकू,
एक सुर्ख़ी फेंक के दिखला गया अख़बार ।

भूख से संतप्त होकर मर गई चिड़िया,
लाश ग़ायब है अभी बतला गया अख़बार ।