Last modified on 5 फ़रवरी 2024, at 03:01

द्वार पर आलेख / रसूल हम्ज़ातव / मदनलाल मधु

मेरे घर की अगर उपेक्षा, कर तू जाए, राही !
तुझ पर बादल-बिजली टूटें, तुझ पर बादल बिजली !
मेरे घर से अगर दुखी मन, हो तू जाए, राही !
मुझ पर बादल-बिजली टूटें, मुझ पर बादल-बिजली !

रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु