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द्वार पर आलेख / रसूल हम्ज़ातव / मदनलाल मधु

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मेरे घर की अगर उपेक्षा, कर तू जाए, राही !
तुझ पर बादल-बिजली टूटें, तुझ पर बादल बिजली !
मेरे घर से अगर दुखी मन, हो तू जाए, राही !
मुझ पर बादल-बिजली टूटें, मुझ पर बादल-बिजली !

रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु