देखो !
जाने कौन लगा गया 
यह 
केले का पेड़ 
मेरी चौखट के आगे;
पत्ते भी 
तराश दिये हैं 
किसी ने|
बाकी है 
बस एक पत्ता 
जो हिलता रहता है 
प्रेम की पताका सा|
मेरे 
चिर विरही मन के
विजयी देवता,
क्या मैं 
इसे तुम्हारे 
शासन का चिहन 
समझूँ 
इस शून्य 
अनामित द्वीप में ?