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द ट्रिब्यून (अख़बार) / हुस्ने-नज़र / रतन पंडोरवी

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आप उर्दू के उन चंद शायरों में से एक हैं जिन का फ़न ख़यालात और ज़बान की खोखली रिवायत ओर नहीं बल्कि ज़िन्दगी के ठोस और ख़ालिस तजरिबात पर मबनी है।