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धनी दाताओं के प्रति / वाल्ट ह्विटमैन / दिनेश्वर प्रसाद

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तुम मुझे जो देते हो, मैं प्रसन्नता से स्वीकार करता हूँ
एक छोटी निर्वाह-राशि, एक कुटीर फुलवारी, कुछ पैसा
जब मैं अपनी कविताओं के साथ नियत स्थानों की ओर जाता हूँ;
एक यात्री के लिए आवास और अल्पाहार, जब मैं प्रान्तों
से हो कर जा रहा होता हूँ —
मैं क्यों इन दानों को स्वीकार करने में लज्जा अनुभव
करूँ ?
क्यों इनके लिए विज्ञापन करूँ ?
क्योंकि मैं स्वयं कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जो पुरुष
और स्त्री को
कुछ नहीं प्रदान करता,
क्योंकि मैं किसी भी पुरुष या स्त्री को विश्व के
सभी वरदानों में प्रवेश प्रदान करता हूँ ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : दिनेश्वर प्रसाद

लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
            Walt Whitman
            To Rich Givers

WHAT you give me I cheerfully accept,
A little sustenance, a hut and garden, a little money, as I rendez-
vous with my poems,
A traveler's lodging and breakfast as I journey through the States,
— why should I be ashamed to own such gifts? why to
advertise for them?
For I myself am not one who bestows nothing upon man and woman,
For I bestow upon any man or woman the entrance to all the gifts
of the universe.