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धन जोबन में सन्नाई / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
धन जोबन में सन्नाई जैसे पक रही मूंगफरी सी
अब बढ़ने पर रही है सटके रोजनरी सी
काजर मत सारै, चन्दा ग्रहण परैगौ
मुख पै पल्ला लार कोई नर लूम मरैगो