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धन हो गया मन खो गया / ओम व्यास

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तब
मेरे पास नहीं था 'धन'
पर बचा रखा था मैंने अपना मन'
और 'मन' में भी तुम्हारी ढेर सारी बातें / आदतें
तुम्हारी चुबुलाहट / खिलखिलाहट
शरमाना / दाँतों के बीच अंगुली दबाना
रूठना / मनाना
इंतजार करवाना / जल्दी जाना
अंगुली में दुपट्टा लपेटना
पैर के अंगूठे से मिट्टी कुरेदना
घर कि छत पर तारों वाली रात
तुमसे दूर होकर भी
मैं तुम्हारे सबसे करीब होता था,
तब मैं 'मन' से अमीर 'धन' से गरीब होता था।
अब मैंने बचा रखा है कुछ धन'
खोकर अपना 'मन'
मन में कुछ भी नहीं है शेष
कुछ धुंधली स्मृतियाँ
यादों की खुशबू
और दूर तक पसरा ' सन्नाटा।