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धरती आभौ बण जावै / राजेश कुमार व्यास

मुगत करै
थारी औगत
आखती-पाखती री
सगळी ही अबखांया सूं
बेकळू मांय न्हावै मन
धरती आभौ बण जावै
अर
धोरा समन्दर।