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धरती की मिट्टी का गीलापन / राजेन्द्र सारथी

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धरती की मिट्टी में जो गीलापन है
इतिहास के आंगन में हुए नरसंहार
कापालिक क्रियाओं में दी गई अनगिनत बलियों
दंगे-फसाद और उन्मादी हत्याओं
सत्ता के लालच में किए गए खून-खराबे
अनगिनत जीव हत्याओं
धर्म के नाम पर बहे रक्त की बाढ़ का है
धरती के इस गीलेपन में शामिल हैं असंख्य आंसू भी
इतिहास और उससे परे अनलिखे इतिहास के।

पहचानी जा सकती है मिट्टी में रक्त की ललाई
सूंघी जा सकती है लहू की गंध
महसूसी जा सकती है मिट्टी में मिली असंख्य सांसों की गर्माहट
सुना जा सकता असहायों का रुदन
जरूरत बस संवेदनाओं की है
कोमल भावनाओं की है।

ये वन-उपवन, बाग-बगीचे
फल और फूलों की बहार
उपहार हैं धरती के गीलेपन का
खाद बने खून और आंसू के सीलेपन का.

आओ हम कामना करें
मनुष्य में क्रूरता और वैमनस्यता न पनपे
उदारता का वास हो
ईर्ष्या का नाश हो।