भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धरती चुगगी / राजूराम बिजारणियां

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

टोकी ढळती रेत
उगेरी राग
पवन सारंगी
उतरता चढता सुर

लुळ-लुळ उठती
उठ-उठ लुळती

हलावती-
मींझर मैंदी राच्या हाथ
कर-कर नीवण
घालै घूमर
कलावंती खेजड़ी.!

मौजीला बादळ..
कर जुहार
अंवेरी मोटी मोटी छांट!

धरती
चुगगी लारो-लार
आभै बरसती
छांटा रा
सिक्का गोळ गोळ ...!