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धरती चुगगी / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
टोकी ढळती रेत
उगेरी राग
पवन सारंगी
उतरता चढता सुर
लुळ-लुळ उठती
उठ-उठ लुळती
हलावती-
मींझर मैंदी राच्या हाथ
कर-कर नीवण
घालै घूमर
कलावंती खेजड़ी.!
मौजीला बादळ..
कर जुहार
अंवेरी मोटी मोटी छांट!
धरती
चुगगी लारो-लार
आभै बरसती
छांटा रा
सिक्का गोळ गोळ ...!