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धरती माता / शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

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धन्य-धन्य हे धरती माता
तुमसे ही जग जीवन पाता ।
धन्य-धन्य हे धरती माता ।।

पृथिवी धरणी अवनि भू धरा
भूमि रत्नगर्भा वसुन्धरा
गन्धवती क्षिति शस्य श्यामला
जननी विविध नाम विख्याता ।
धन्य-धन्य हे धरती माता ।।

अन्न पुष्प फल वृक्ष मनोहर
सरित सरोवर सागर निर्झर
स्वर्ग छोड़ करके ईश्वर भी
तेरी ही गोदी में आता ।
धन्य-धन्य हे धरती माता ।।

जल पावक समीर आकाशा
गन्ध रूप रस शब्द स्पर्शा
सब पदार्थ तेरे आँचल में
जो जन जो चाहे पा जाता ।
धन्य-धन्य हे धरती माता ।।