भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धरती रोॅ कोना कोना छानी मारलौ सगरो / राम शर्मा 'अनल'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धरती रोॅ कोना कोना छानी मारलौ सगरो
काँही नै मिललै राम चलदल छैंया
दुनियाँ में अच्छा सबसें आपनोॅ भुइयां

नदी नाला झील सागर झरना देखलाँ
रंग विरंग पोखर नहर बाँध-देखलाँ
कहीं भी नै देखलाँ गंगा जी रोॅ परछइयाँ

सुतरू फूकैवाला कहाँ मिललै बुतरू
गोलचुक्का खेलैवाला कहाँ मिललै गभरू
सुपती मोनीवाली कहाँ लरकइयाँ

मौगी मेहर देखलाँ मिललै कहाँ सीता
बढ़ोॅ बढ़ोॅ ग्रंथ देखलाँ कहाँ मिललै गीता
कदुआ मरद सब बोली दूभु हिया

सगरे टबुआय प्यास घुरी ऐलौं प्यासलोॅ
पानी बिनु ठोर दोनों रही गेलै तापलै
मिलवाँ नै मिललै शीतल मटकुँइयाँ

आसन मारी ध्यान करैबाला कहाँ मिललै
गाछ बिरिछ पूजैवाली कहाँ मिललै
बुतलोॅ अनल खाली छोड़ै छेलै धुंइयाँ