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धर्मराज ने दिया जब ध्वंस का आदेश तब / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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धर्मराज ने दिया जब ध्वंस का आदेश तब
अपनी हत्या का भार अपने ही हाथ में
ले लिया मानव समाज ने।
पीड़ित मन से सोचा है बार-बार-
‘पथभ्रष्ट पथिक ग्रह के अकस्मात् अपघात से
एक ही विशाल चितानल में क्यों नही जलती आग
एक महा सह मरण की।’
अब फिर सोचता हूं, हाय-
दुःख शोक ताप से पापों का हुआ नहीं क्षय तो
प्रलय भस्म क्षेत्र में बीज उसका पड़ा ही रहेगा सुप्त,
कण्टकित हो उठेगी छाती नवीन सृष्टि की।