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धारीदार समय / राग तेलंग
Kavita Kosh से
समय इस पल बेहद महीन है
छूकर देखो
उसके गुज़रते हुए शरीर को
वह तुम्हारे हाथ पर
अदृश्य कोमल धारियाँ छोड़ जाएगा
समय
चले जाने के बाद भी
हमारे क़रीब से होकर गुज़रता रहेगा
पर हम उसे फिर नहीं छुएंगे
हाथ पर जो धारियाँ
उन्हें ही सहलाया करेंगे
तुमने कुछ कहा ?
देखो !
तुम्हारी बात भी अंकित हुई मन में
ठीक इसी वक़्त
ठीक इसी समय की तरह
और देखना
यह फिर कभी
धारीदार स्मृतियों को
छूने के समय काम आएगा ।