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धार्मिक विचारों को लेकर / शहंशाह आलम

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वो साधु थे और कहाँ-कहाँ से

नहीं आए थे


वो मौलवी थे और न मालूम

कितने धूल-धक्कड़ खाकर इकट्ठे हुए थे


दोनों ने कहा बिल्कुल निरापद

न्यायाधीश की तरह :

धर्मयुद्ध की समप्ति के बाद

हमीं तो बचेंगे

हमीं तो भोगेंगे

तमाम आसाइशें


धर्मयुद्ध में मारे जाएंगे

सारे भक्तगण