भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धीजौ / मीठेश निर्मोही
Kavita Kosh से
मंडी सूं
घालौ
हेत
भलां ई
धीजौ
तोळा-ताकड़ी
पण अडांणै मत
राखौ
आपौ आपनै
बगत मोळौ है
धापनै।