Last modified on 15 अक्टूबर 2018, at 20:16

धीरज रखना भाई नीले आसमान / भवानीप्रसाद मिश्र

धीरज रखना
भाई नीले आसमान
फिर कोई बिजली मत गिरा देना
बिना घनों के

क्योंकि संकल्प हमारे मनों के
इस समय ज़रा अलग हैं

हम धूलिकणों के बने हुये
रसाल-फलों में
बदल रहे हैं अपने-अपने
छोटे-बड़े सपने

धीरज रखना
भाई नीले आसमान
फिर कोई बिजली मत गिरा देना
बिना घनों के