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धुआँ उठा है दिल में मेरे, कमी हुई कुछ मस्ती में / ईश्वर करुण

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धुआँ उठा है दिल में मेरे, कमी हुई मस्ती में
लगता है की आग लगी है शायद तेरी बस्ती में ।

लहर चिढ़ाती है मुंह मेरा, भँवर चुनौती देता है
लगता है कि लगा है भरने पानी तेरी कश्ती में ।

फिर कोई इलजाम लगा है तुझ पर दुनियाँवालों का
मुझे पकड़ ले गयी पुलिस, रात चली वो गश्ती में ।

फिर की है खुदखुशी की कोशिश तुमने मेरी फुरकत1 में
दुनियाँ के बाजार बिकी कल मौत बड़ी ही सस्ती में ।

तेरी वफा से दुनियाँ का शायद हर आशिक मात हुआ
कोई नहीं मशगूल मिला मुझको खुदगर्जपरस्ती2 में ।

‘ईस्वर’ पता नहीं चल पाया थका ढूंढकर ‘ईश्वर’ को
सिमट गई है खुदा की हस्ती शायद तेरी हस्ती में ।