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धूप का फैलाव / विष्णुचन्द्र शर्मा
Kavita Kosh से
मेरी तरह धूप को
देशों का फैलाव पसंद है
अभी पत्तियों पर नाचती है धूप
अब धूप मुझसे पूछ रही है
‘कुचामा, बर्लिन, मैक्सिको, पारी
ह्यूस्टन, वाशिंग्टन में
मेरा फैलाव कभी नापा है!’