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धैर्यक बान्ह / चंदन कुमार झा

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अहाँ जे रोपि गेल रही
हमरा मोनक आँगनमे
नान्हि टा प्रेमक बीया
अहाँक परोछहुँमे, अहींक अंश बूझि
हम सेबैत रहलहुँ तकरा
अहाँक ओ भविष्य-दर्शन
आ हमर सेवा-सुश्रुषा, सोकाज लागल
आइ ओ बीज समर्थ भऽ गेल अछि
छतनार गाछ बनि गेल अछि
आब जखन कखनो
हमर मोन भऽ जाइए असोथकित
बैसि रहैत छी पहर-दू-पहर
हम एकर छाहमे

जहिना अहाँ रही हमर प्राण
तहिना एकरो बसात बनि गेल अछि हमर प्राण-वायु
अहाँक आँचरक हौंकसँ
भऽ जाइत छल तरंगित जहिना
सिहरि उठैत अछि तहिना हमर गात
जखन डोलैत छैक एकर पात
सम्भवतः अहींक साँसक सह पाबि

जा धरि ई गाछ अछि
बुझू हमहूँ छी
आ एकरहि लाथे सदिखन
अहूँ रहैत छी आसपास

जँ कदाचित्
कोनो घनघनौआ मेलामे
छूटि जाइछ अहाँक स्मृतिक संग
चित्त भऽ जाइछ विचलित
हेराय लगैत छी हम
कोनो अनभुआर स्वप्नलोकमे
तखन
एकर पतलो उधिया-उधिया
करैत अछि दिशा-निर्देश
आ हम घूमि अबैत छी सकुशल
ठामपर अपन गामपर
मचकी झुलैत एकर डारि-पात
भेटैए सदिखन स्वागतेमे ठाढ़

काल्हि देखने रही जखन
एकर पहिल कोंढ़ी
हठात् मोन पड़ल छल
अहाँक सजल, पुष्ट ठोढ़
आइ एहि फूलकेँ देखि लगैछ
जेना अहीं बिहुँसि रहलहुँ अछि

अहाँक सप्पत मोने अछि
अनधैर्य नहि भेल अछि
अहींक चिक्कन गातसन
एकर पातसँ ओलरि खसल
ओसक ठोप जखन छातीपर
सहसा बुझायल जेना अहींक घाम हो
आ से छिलैक गेलैक
हमरो उबडुब करेज, आँखिक बाट
ओ तऽ तेहने ने ज्वारि छलैक जे
धैर्यक बान्ह कनेक भासि गेल
हमहूँ भसिया गेलहुँ
मुदा, सप्पत खा कहैत छी
अहाँक सप्पत मोने अछि
अनधैर्य नहि भेल अछि