धोरैया मोहन / लोकगीता / लक्ष्मण सिंह चौहान
कमलिया वाले आजा आजा गैया के धोरैया।
गीता-गीत सुना जा मोहन दुखिया छै नगरिया॥टेक॥
जसोदा दुलार कृष्ण देवकी के ललवा हो।
नन्द वसुदेव गले हार हो सांवलिया॥कमलिया॥
हमरो गोपाल कृष्ण गैया के धोरैया हो।
होयरा में हरदम नाचैय हो सांवलिया॥1॥
अधर पै शोभैय रामा बांस के बँसुरिया हो।
कदम के छैंया छैंया झूलैया हो सांवलिया
टुनर-मुनुर बाजैय गैया केरी घाँटिया हो।
ठुमुकि-ठुमुकि पग हालैय हो सांवलिया॥2॥
फैली गोली धवली कि मावैय चितकबरी हो।
हरीयर दुब पाउ चरैय हो सांवलिया॥
पीली पीली खाटी खाटी जोगिया के धेतिया हो।
झूलत झूलत बांसी फूंकैय हो आंवलिया॥3॥
अरहूल फूल सम लाली लाली कछनी हो।
पतली कमर लक लक हो सांवलिया॥
सिरवा पै शौभेय रामा टेंढ़ी मेढ़ी पगिया हो।
अंखिया लुभावे मोर-पांख हो सांवलिया॥4॥
कमल-नयन हीया-मौलसरी हरवा हो।
कारे कारे घुंघरील केश हो सांवलिया॥
हरदम देखे चाहों तोहरो सुरतिया हो।
बाल रूप ग्वाल बाल संग हो सांवलिया॥5॥
टिहुकी बजावे रामा छोरा नन्दललवा हो।
हीयो! हीयो! कैली गोली धवली हो सांवलिया॥
बंशी के टिहुकि सुनी धय आबे गैया हो।
दूध से भरल थन डोले हो सांवलिया॥6॥
शुक-पीक बोलैय रामा बोलैय धेनु गैया हो।
चहुँ ओर घेरि घेरि खड़ी हो सांवलिया॥
डाल-पात दोलैय रामा बहैय पुरवैया हो॥
कुहू-कुहू कोयल सुनावै हो सांवलिया॥7॥