भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धोरों की महक / राजेन्द्र जोशी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धोरे
धोरों की सुंदरता
क्यों लगती है सुहावनी !
धोरों पर सोते हैं
बैठते है
गुनगुनाते है
धोरों में चमक हैं !
क्या करता है यहां सोना ?
सोने को क्यों नहीं निकालते ?
निकलता है सोना
तभी तो कहता हैं
अमेरिका
भारत ज्ञान का विपुल भण्डार है
हथिया लेगें ये सारा विश्व !