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ध्यान लगा के सुणल्यो तै इक राज की बात बताऊं / जयसिंह

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ध्यान लगा के सुणल्यो तै इक राज की बात बताऊं
थारी आंख्या आगै पडऱ्या सै मैं उस परदे नै ठाऊं
 
ट्रैक्टर इंजन पाइप डीजल सब पूंजीपति के आवैं सैं
खाद बीज दवाइयां के वैं मन आवे भा लावैं सैं
बैंक कर्ज दें पाछै पहले धरती नै धरवावैं सैं
फसल तेरी जब जा मण्डी म्हं वैं हे भाव बतावैं सैं
छ: महीने की मेहनत तेरी यें लेंगे लूट कमाऊ
 
कारखाने और खान्यां म्हं तू रोज कमावै सै
रेल हवाई जहाज बिजळी तू हे बणावै सै
बड़ी-बड़ी बिल्ंडिग बांध नहर भी तू हे ल्यावै सै
रोटी कपड़ा मकान दवाई नां फिर भी थ्यावै सै
क्यों के तेरी मेहनत पै कर कर् रे सैं ये कब्जा लूटू खाऊ
 
मजदूर और किसान देश म्हं करैं रात-दिन काम
24 घण्टे लगे रहैं ना मिलै एक मिनट आराम
जवानी म्हें बूढे होगे गया सूक गात का चाम
राज सत्ता पै कब्जा इनका या सरकार काम चलाऊ
 
म्हारी जूती सिर भी म्हारा यें फोडऩ लाग रहे
मेहनत करैं कमाऊ यें धन जोडऩ लाग रहे
विदेशां मै धन जमा देश नै तोडऩ लाग रहे
ये जनवादी थारे संगठन जोडऩ लाग रहे
जयसिंह सारे कट्ठे होल्यो मैं तै पहले मुंह बाऊं