नंदनँदन से नाता जोड़ो जीवन बन जाये   
बजे बांसुरी जहाँ कृष्ण की मधुबन बन जाये 
जग पतझार शुष्क पत्रों का काँटों का रेला
गूँजे हरि का नाम अगर वन नंदन बन जाये  
सदना और अजामिल की है बात न अनजानी 
रटो कृष्ण का नाम अघी मन पावन बन जाये 
सज्जन की संगति पा जग में कौन नहीं सुधरा 
चंदन का पा साथ काठ सब चंदन बन जाये  
मीरा सहजो-सा दीवाना हो जाये यदि मन
वृंदावन का वासी मोहन साजन बन जाये