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नई किताब / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
देखो मेरी नई किताब,
जैसे हँसता हुआ गुलाब!
इसमें हँसी-खुशी, मुसकानें,
इसमें हैं परियों के गाने।
इसमें किस्से प्यारे हैं,
जैसे झिलमिल तारे हैं।
इसमें गीतों की फुलवारी,
फूलों की जैसे हो क्यारी।
जैसे हँसता सुर्ख गुलाब,
ऐसे मेरी नई किताब।