भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नई डायरी / प्रकाश मनु

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नए साल पर नई डायरी,
काश, मुझे मिल जाए!

नई डायरी में कितनी ही
बातें लिखनी हैं,
अब तक जो मैं कह ना पाया
वे सब कहनी हैं।
हरी वादियों में घूमे थे
गुपलू जी के साथ,
तब लगता था कितना नीचे
आ पहुँचा आकाश।
कितने सुंदर फूल खिले थे
फूलों के वे रंग,
घूम-घूमकर देखे हमने
बबलू भी थे संग।
अगर लिखूँ ये सारी बातें,
मन-बगिया खिल जाए!

मीठी बातें, खट्टी बातें
बातें प्यारी-प्यारी,
याद आज आ गईं कि जैसे
प्यारी-सी फुलवारी।

गप्प-सड़ाका भी मित्रों का
याद मुझे आया है,
बिछुड़ गए जो आज, याद कर
मन भर आया है।

लिख दूँ सचमुच वे किस्से तो
चैन मुझे मिल जाए!

नई कहानी और नई कुछ
प्यारी-सी कविताएँ,
उमग रही हैं मेरे मन में
शायद वे लिख जाएँ।
लिखते-लिखते ऐसे ही मैं
लेखक बन जाऊँगा,
बड़ी किताबें छपा करेंगी
बड़ा नाम पाऊँगा।

लेकिन पहले छोटी-सी एक
राह मुझे मिल जाए!
नए साल पर नई डायरी
काश, मुझे मिल जाए!