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नई बात सोचा करते हैं / बालस्वरूप राही
Kavita Kosh से
एक पका फल टूट डाल से नीचे गिरा कहीं पर,
एक आदमी ऊँध रहा था लेता हुआ वहीं पर।
यों तो फल का नीचे गिरना कोई नया नहीं था,
लेकिन उस पर ध्यान किसी का पहले गया नहीं था।
उसे टपकता देख हुई थी जिस को यों हैरानी,
वह था न्यूटन, अपने युग का बहुत बड़ा वैज्ञानी।
खोज निकाला उस ने धरती का गुरुत्व- आकर्षण,
धरती अपनी ओर खींचती सब कुछ जिस के कारण।
जो दुनिया को बड़े ध्यान से रह कर सजग निरखते,
आस-पास दिन-रात घटित होता जो उसे परखते।
नई बात सोचा करते हैं जो लकीर से हट कर,
उन के द्वारा ही मानव बढ़ता जीवन के पाठ पर।