भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नए साल / गिरिजा अरोड़ा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जादुई पिटारा लेकर आओ नए साल
गम को भी खुशियाँ बनाओनए साल
स्वागत को हम खड़े लेकर यही आस
ख्वाहिशों की झोली भर जाओ नए साल

पहलू एक सिक्के के हैं सुख दुख दोनों
सुख बीते जल्दी दुख नहीं आसान
दिन रोशन करता दिनमान
रातों को पूनम बनाओ नए साल

मेहनत को दे दो भाग्य का साथ
कर्म करते बन जाएं कीर्तिमान
सफलता की सीढ़ी चढ़े जहान
तरक्कियों का श्रेय तुम पाओ नए साल

अमन चैन की राह चलें सब
प्यार ऐसा बरसाओ नए साल
जादू की टोपी में डालो कौवे सारे
शांति के कबूतर उड़ाओ नए साल