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नगरी अन्हेर / मथुरा प्रसाद 'नवीन'

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बबुआ,
एखने हिंया समय हइ
जनता के लोप
और नेता के उदय हइ
सब कहऽ हे कि
कहर हो जैते
गाँव-गाँव में
बिजली अउ नहर हो जैतै
कहर हो जैतै
सहर सरग
गाँव सहर हो जैतै
चाहे रंगीन रहै इया, सादा
वादा पर वादा
फेर
चौपट राजा नगरी अन्हेर