भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नज़दीकी / वीरा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

समुद्र इतना नज़दीक है

कि मुझे उसका

कभी दूर होना

याद ही नहीं


यात्राएँ

उसकी छुअन में घुल गई हैं

पानी में हवा की तरह