भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नज़र से दूर भी जाने से कोई दूर न था / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


नज़र से दूर भी जाने से कोई दूर न था
हमारा दिल भी निशाने से कोई दूर न था

समझना चाहते उसको तो समझ लेते आप
ग़ज़ल में प्यार भी ताने से कोई दूर न था

जो रंग एक था आता तो एक जाता था
किसीके दूर बताने से कोई दूर न था

हमारा दिल तो धड़कता था आपके दिल में
छिपा था प्यार बहाने से, कोई दूर न था

पहुँच न पाई वहाँ क्यों गुलाब की ख़ुशबू!
हमारा मौन भी गाने से कोई दूर न था