भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नज्रे-बानी / शीन काफ़ निज़ाम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं औराक़े-हैरानी<ref>चकित करने वाले पृष्ठ</ref> में
इक साया गदले पानी में

मुश्किल आई आसानी में
है सारे मंज़र पानी में

ढूंढें फिर होने का मतलब
अब आयाते-इम्कानी<ref>सम्भावना के श्लोक</ref>में

सुबहे-अज़ल<ref>प्रारंभिक सुबह</ref> से मैं बैठा हूँ
इक बेनाम परेशानी में

देखो कितनी आबादी है
मेरी ख़ानावीरानी<ref>भाग्य हीनता</ref> में

कौन बताये क्या कैसा है
है सब कुछ बहते पानी में

पानी में पानी होता है
प्यास नहीं होती पानी में

मैं उस के दिल में रहता था
अब तो हूँ बस पेशानी में

शब्दार्थ
<references/>