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नदी करै जातरा / ओम पुरोहित कागद
Kavita Kosh से
नदी
डूंगरां ढळ
करै जातरा
कंत सागर सूं
भेंटा सारू
भेळै ले
फूल-पानड़ा
फूस-लाकड़ी
अंगड़-बंगड़
लंगा टेर
चुकांवती मोल
पंथवारी रो
लदै नावां
नावां माथै
माणस
माणस रो सिरजण!