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नदी / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
मैं अपनी ही
स्वतंत्रा गति में
बहने वाली हूँ
बेसुध, बेखबर
मत लगाओ मुझ पर
कोई अंकुश
कोई बांध
तुम नहीं जानते
मेरी स्वतंत्राता को
बाधित करने का दुष्परिणाम
एक दिन बांध तोड़
बहा ले जाऊँगी
तुम्हें ही नहीं
कई गाँव ।