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नदी / सुनीता जैन
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यह ही विशेष बात है
कि नाम लेने से तुम्हारे
कोई नदी
चल कर कहीं से
मेरे किनारे आ लगी
गा उठे जंगल सभी,
तड़पी गगन में दामिनी,
जही खिली, बेला ने भर दी
रक्त में ठंडी सुरा
जो न हो विश्वास तुमको
नाम में गर्भित सभी
संदर्भ, सब संदेश हैं-
कर बंद आँखें देख लो
कह के, ‘हरि’।