भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ननदी-भउजिया री दुई पनिहारिन / भोजपुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ननदी-भउजिया री दुई पनिहारिन, आइहो रामा,
चली जमुनवा अब रे दह पानी के हो ना।।१।।
देखहू रही भउजी री गोली त हरिनिया, आइहो रामा,
अहुरी-अहुरी घुमी माला चरेले हो ना।।२।।
चरे देहु ननदी री गोली त हो हरिनिया, आइहो रामा,
जोगिया मलहवा से हो रूसी जाला हो ना।।३।।
घइला त धइली ननदी री, कुँइयाँ के जगतिया, आइहो रामा,
गेडुली त खूँटा अब रे लटकावेली हो ना।।४।।
बाटे के बटोहिया रे तूहूँ मोर भइया, आइहो रामा,
एही बाटे देखले भउजी अलबेली को हा ना।।५।।
देखे के देखलीं बहिनी री, भउजी अलबेलिया, आइहो रामा,
जोगी के मड़इया खेले झकझूमर हो ना।।६।।
कहवाँ ही रहले भउजी री, अती देर रे हमें भइले, अइहो रामा,
कहवाँ ही पीछी धूरा लागेला हो ना।।७।।
जोगी के मड़इया ननदी री, नेटुआ के हो नाचवा, आइहो रामा,
भीतिए ओठंगी, पीठी धूरा लागेला हो ना।।८।।
इहो लाथ लेहलू भउजी री, अउरी हो छिपवलू, आइहो रामा,
कइसे देखिले चोली-बंद फाटल हो ना।।९।।
जोगी के मड़इया ननदी री, बाँसे के कमचिया, अइहो रामा,
बटिये चलत चोली-बन्द फाटेला हो ना।।१0।।
इहो लाथ लेहलू भउजी री, अउरी हो छिपवलू, अइहो रामा,
कइसन देखिले तोरे झाँवर हो ना।।११।।
जोगी के मड़इया ननदी री, साधू के हो भंडरवा, अइहो रामा,
धुनिया फूँकत देह मोरा झाँवर हो ना।।१२।।
इहो लाथ लेहलू भउजी री, अउरी हो छिपवलू, अइहो रामा,
कइसन देखिले देह तोर पीअर हो ना।।१३।।
जोगी के मड़इया ननदी री, साधू के हो भंडरवा, अइहो रामा,
हरदी कूचत देह मोर पीअर हो ना।।१४।।
इहो लाथ लेहलू भउजी री, अउरी हो छिपवलू, अइहो रामा,
कइसन देखिले गोदी तोर बालक हो ना।।१५।।
तोहरो भइयवा ननदी री, सधुआ के हो चेलवा, अइहो रामा,
धुनिया जोरत गोदी मोर बालक हो ना।।१६।।
तोह के त देबों ननदी री, गर के हँसुलिया, अइहो रामा,
भइया आगे लइया जनि लाव हो ना।।१७।।
आगी तो लगइबों भउजी री, गर के हँसुलिया, अइहो रामा,
भइया आगे लइया हम्में लाइब हो ना।।१८।।
तूहूँ त होख बैरी ननदी री, घर के छुछनरिया, आइहो रामा,
छूछूत-छूछूत तोरे दिन बीतेला हो ना।।१९।।
तूहूँ त होखबे भउजी री, बन के खेखनरिया, आइहो रामा,
खेखत-खेखत तोरे दिन बीतेला हो ना।।२॰।।