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ननदी आंचरा सम्भारी दे / छोटे लाल मंडल

Kavita Kosh से
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ननदी अचरा संभारी दै खिसकी के भागै छै,
हे खिसकी के भागै छै हे ससरी के भागै छै ननदी.॥

आसीन कातिक अगहन वीतलै
वितलौ पुसो के महिना,
फागून मास पिया नैं लौटलै
छै जीवन वितवौ केहूना॥ननदी.॥

खाना पीना पलंग विछौना
सभ्भे लागै छै फीको,
वडकी ननदियां ताना मारै
आवी के दै छै झीको ननदी.॥

की सुनी सुनी के वदन सिहरै छै
की नैना कहीं लड़ैलकौ,
की एैड्स विमारी घातक लेलको
की आपनो जीवन फसैलको ननदी.॥

दिल दरिया में उठै हिलोरा,
तांही पै जाय के समावौ,
केकरा सें कहवै हो वतिया के
मनहि मनें गलावौ ननदी.॥

एड्स विमारी ला इलाज छै
सिज्जत शरीरवा होयवै करतै
कुल परिवारो में दाग लगैतौ
कौवनी मुख केकरा सें वोलबौ करतै॥ननदी.॥