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नन्ही सानो / श्रीप्रसाद
Kavita Kosh से
हँसकर बोली बैठ गोद में
मुझसे नन्ही सानो
बाबा, मेरी एक बात तुम
मानो या मत मानो
पर मैं सच कहती हूँ,
मैंने सपने में यह देखा
लड्डू लेकर आई मिलने
मुझसे दीदी रेखा
कुछ लड्डू दीदी ने खाये
कुछ मैंने भी खाये
तब तक बाबा, तुम अपनी
यह दाढ़ी लेकर आए
मैंने तुम्हें खिलाए लड्डू
गिन-गिनकर के ढेरों
तुमने खाये होंगे लड्डू
मीठे-मीठे सेरों
मैं सुनकर सानो की बातें
मन ही मन मुसकाया
सानो ने सपने का किस्सा
गढ़कर मुझे सुनाया
नन्ही सानो बड़ी चतुर है
गढ़ती तुरत कहानी
और सुनाती है फिर ऐसे
जैसे हो वह नानी।