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नन्हों का स्कूल / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
कितना प्यारा, कितना छोटा,
नन्हाँ प्ले स्कूल।
नन्हें शिक्षक, नन्हें बच्चे,
नन्हें कापी पेन।
अरे भाई यह शाळा ही है,
हम नन्हों की देन।
नन्हीं टेबिल नन्हीं कुर्सी,
नन्हें से स्टूल।
नन्हें-नन्हें ब्लैक बोर्ड है,
नन्हीं-सी है चाक।
ब्लैक बोर्ड पर नन्हें अक्षर,
लिखते नन्हें हाथ।
नहीं बड़ों को यहाँ जगह है,
नन्हें यहाँ कबूल।
सभी यहाँ पर नन्हाँ नन्हाँ,
ऊंची किन्तु उड़ान।
कितना भी हमउड़ें गगन में
आती नहीं थकान।
हिला-हिला कर रख देंगे हम,
बड़ों-बड़ों की चूल।