भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नया गुड्डा, नई गुड़िया / कन्हैयालाल मत्त
Kavita Kosh से
नया गुड्डा, नई गुड़िया,
हुई शादी खुली पुड़िया।
बड़ा मूढ़ा, बड़ी मूढ़िया,
ससुर बूढ़ा, सास बुढ़िया।
नई दुल्हन, नया दूल्हा,
नई चक्की, नया चूल्हा।
चली चक्की, पिसा आटा,
जला चूल्हा, भुना आटा।
-साभार: धर्मयुग, 3 फरवरी, 1980