Last modified on 17 जुलाई 2015, at 11:26

नया घर नया कोहबर नया नींद हे / मगही

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नया घर नया कोहबर नया नींद हे।
नया नया जुड़ल सनेह, सोहाग के रात, दूसर नया नींद हे॥1॥
सासु जे पइसि जगाबए, नया नींद हे।
उठऽ बाबू, भे गेल बिहान, सोहाग के रात, दूसर नया नींद हे॥2॥
सासु जे अइसन बइरिनियाँ, नया नींद हे।
आधि रात बोलथिन<ref>बोलती है</ref> बिहान, सोहाग के रात, दूसर नया नींद हे॥3॥
लाड़ो<ref>लाड़ली, दुलहन</ref> जे जाइ जगाबए, नया नींद हे।
उठऽ<ref>उठिए, जागिए</ref> परभु, भे गेल बिहान, सोहाग के रात, दूसर नया नींद हे॥4॥
चेरिया जे अँगना बहारइ, नया नींद हे।
दीया<ref>दीपक</ref> के बाती धुमिल भेल, अइसे<ref>इस तरह</ref> हम जानली बिहान।
सोहाग के रात, दूसर नया नींद हे॥5॥

शब्दार्थ
<references/>