भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नया वर्ष है / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
आओ नन्हें-मुन्नों आओ नया वर्ष है।
गीत ख़ुशी के फिर तुम गाओ नया वर्ष है।
नये-नये ले करके सपने,
नया वर्ष है आया।
नये वर्ष के स्वागत में ही,
हर उपवन मुस्काया।
तुम भी हँसो और मुस्काओ नया वर्ष है।
आओ नन्हें-मुन्नों आओ नया वर्ष है।
भेद-भाव की बात कभी मत,
अपने मन में लाओ.
सबके साथ प्यार का रिश्ता,
रक्खो और निभाओ.
सबको अपना मित्र बनाओ नया वर्ष है।
आओ नन्हें-मुन्नों आओ नया वर्ष है।
बात हमेशा ही मानो तुम,
मात-पिता गुरुजन की।
पूरी करनी हैं आशायें,
तुमको जन-गण-मन की।
काम नया कुछ कर दिखलाओ नया वर्ष है।
आओ नन्हें-मुन्नों आओ नया वर्ष है।