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नया वर्ष / त्रिलोक सिंह ठकुरेला
Kavita Kosh से
नए वर्ष की नई सुबह ने
रंग बिखराए नए-नए ।
सब में नए-नए सूरज ने
स्वप्न जगाए नए-नए ।।
नई उमंगे, नई तरंगे
नई ताल, संगीत नया ।
सब में जगीं नई आशाएँ,
नई बहारें, गीत नय ।।
नई चाह है, नई राह है
नई सोच, हर बात नई।
नया जागरण, नई दिशाएँ,
नई लगन, सौगात नई ।।
सब में नई नेह धाराएँ
लेकर आया वर्ष नया ।
नया लगा हर एक नज़ारा,
सब में छाया हर्ष नया ।।