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नया साल / निर्मल आनन्द
Kavita Kosh से
चमक रहे हैं
हमारे स्वागत में
दिन के नए पन्ने
इन्हीं में लिखनी है हमें
अपनी कहानियाँ
देना है अपना बयान
कि इन्हें बचना है
आग की लपटों से
ख़ून के धब्बों से